दूसरों के दृष्टिकोण को भी समझो
हम आमतौर पर दुनिया को अपनी दृष्टि से ही देखते हैं, इसीलिए कभी-कभी ग़ल्ती कर जाते हैं. आज से कुछ साल पहले योग के कारण जब मेरी नींद कम हुई तो मैं बहुत ख़ुश हुआ, और मैंने एक कक्षा में जाकर बच्चों से यह बात बताई. लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. फिर दूसरी कक्षा में, तीसरी में, चौथी में, हर जगह यही बात बताई, लेकिन बच्चों में इसे लेकर कोई उत्साह नहीं दिखा.

मैं अचंभित था! फिर अचानक समझ आया कि बच्चे नींद कम होने से ख़ुश क्यों होंगे? इनमें से तो कई सोते ही इसलिए हैं क्योंकि इनके पास कुछ करने को नहीं है. इनके लिए तो जागना ही समस्या है. मुझे तो नींद कम होने से दूसरे कार्यों के लिए समय मिलने लगा था. लेकिन इन ग़रीबों का क्या जिनका समय ही नहीं कटता? इनके लिए सोना कोई शरीर की आवश्यकता मात्र थोड़ी है, बल्कि समय काटने का एक साधन भी है. इस घटना से समझ आया कि दूसरों के दृष्टिकोण से भी दुनिया देखनी चाहिए.